Friday, February 27, 2009

पोखर किनारे "

पोखर किनारे , धूप सेंकती .....
पानी में , खुद को , देखती .....
पोखर किनारे .....एक लड़की !!

हाथों से दुपट्टा लहराती ,
कंकड़ उड़ाती ,
दूर तक ...... पानी में
लहरें बनाती ;
अपनी ही पलकों में भींगती ,
कभी मुस्कुराती ,
कभी शर्माती ,
घुँघरू बजाती .... छाम्छामाती ,
रूप कि मारी ....
वो लड़की कुंवारी .....

पोखर किनारे ...

डरते - डरते ,तब, आसपास देखती ,
फिर ,हाँथों से ,
प्रेमी के लिखे ख़त को
.......................पानी में फेंकती .
पोखर किनारे .......एक लड़की !!


- अभिषेक

Monday, February 16, 2009

mujhe bachcha bana do ..

मुझे अब चैन से सोना है ,
मुझे अब खुल के रोना है ,
..................कहाँ पे रखा मेरा खिलौना है ,
मुझे फिर से बच्चा बना दो !!

होली अबके ,घर में मनानी है ,
दादी से मुझे सुननी कहानी है ,
............कहाँ मेरे बचपन के राजा-रानी हैं ,
मुझे फिर से बच्चा बना दो !!

पेडों से फिर कच्चे आम तोड़ना है ,
उन गलियों में नंगे पांव दौड़ना है ,
.....पानी में कागज़ का एक जहाज़ छोड़ना है ,
मुझे फिर से बच्चा बना दो !!

- अभिषेक

Tuesday, October 21, 2008

....kaisi ho maa

" सब कहते है ....
ऐसी हो माँ ,तुम , वैसी हो माँ ....
कोई माँ से कभी ये भी तो पूछे ,
की " कैसी हो माँ " ??

- अभिषेक